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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2708
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।

अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा के विभिन्न स्कूली स्तर पर क्यों उद्देश्य हैं?
अथवा
विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा के सामान्य लक्ष्य एवं उद्देश्य क्या हैं? स्वास्थ्य शिक्षा क उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषा दें। स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षा देने के क्या उद्देश्य हैं? संक्षेप में वर्णन करें।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए। स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ

स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है जिसके द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान को व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर व्यावहारिक रूप मं  परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है, जिसमें न केवल एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हो बल्कि संपूर्ण समाज के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके। स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन समस्त साधनों से है जो व्यक्ति को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करें। स्वास्थ्य शिक्षा सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक रूप से सम्पूर्ण विद्यालयी शिक्षा का एक अभिन्न अंग है। क्योंकि शिक्षा का एक महत्तवपूर्ण सामान्य उद्देश्य स्वास्थ्य निर्माण भी है, इसलिए स्कूल के सभी विषयों का इसमें अपना योगदान करना चाहिए। ऐसा करते समय वे स्वास्थ्य शिक्षा का एक अंग बन जाते हैं। संक्षेप में स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो अर्जित किए हुए ज्ञान का अनुभव कराती है जिसका उद्देश्य ज्ञान के द्वारा शिक्षा और आचरण पर प्रभाव डालना है जो कि व्यक्ति और लोगां के स्वास्थ्य से सम्बन्धित है।

क्योंकि हर प्रकार की शिक्षा का पहला उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य है। क्रो व क्रो इसके महत्तव पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहते हैं, "यदि बच्चों, किशोरों तथा वयस्कों के शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य सुधार की ओर ध्यान न दिया जाए तो स्कूलों के विशाल भवन, शैक्षिक सामग्री का अतुल भंडार, योग्य अध्यापक, निरीक्षक तथा अन्य कार्यकर्ता, विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई पाठ्यचर्या, मूल्यांकन के अच्छे ढंग आदि सभी शैक्षिक क्रियाएँ अपने उद्देश्य की प्राप्ति में असफल हो जाती हैं।" शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति बच्चों के स्वास्थ्य पर निर्भर है। स्वास्थ्य शिक्षा का सम्बन्ध व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य दोनों से होता है। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा अध्यापक से सम्बन्ध रखती है और आधुनिक अध्यापक बच्चे के मानसिक विकास तथा उसके भावी निर्माण को ही शिक्षा का लक्ष्य नहीं मानता। वह जितना महत्त्व मानसिक शक्तियों के विकास को देता है उतना ही महत्त्व स्वास्थ्य शिक्षा का होता है क्योंकि मानसिक विकास से पहले बच्चे का शारीरिक विकास होता है यदि बच्चे का स्वास्थ्य ही बिगड़ जाये तो कुशलताएँ सिखाने व पुस्तकें रटाने का कोई लाभ नहीं है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्र को ऐसे साधन प्रदान करना है जिनकी सहायता से वे अपनी क्षमता तथा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक गुणों का पूर्ण विकास कर सकें।

उपरोक्त विवरण के आधार पर हम स्वास्थ्य शिखा के अर्थ को विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं।

साधारण तौर पर "स्वास्थ्य शिक्षा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा लोगों की स्वास्थ्य सबन्धी आदतों में परिवर्तन लाया जा सकता है और स्वास्थ्य के प्रति उनके दृष्टिकोण और ज्ञान में वांछनीय सुधार किया जा सकता है।"

अतः इस आधार पर स्वास्थ्य शिक्षा जीने की एक कला है' हम इस कला का प्रयोग स्वास्थ्य शरीर में स्वास्थ्य मन प्राप्त करने के लिए करते हैं।

डॉ. थॉमस बुड के अनुसार, - "स्वास्थ्य शिक्षा उन सभी अनुभवों का जोड़ है, जो हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक, सामुदायिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित आदतों, प्रवृत्तियों तथा ज्ञान पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं।"

स्वास्थ्य शिक्षा समिति (1973) न्यूयार्क के प्रतिवेदन के अनुसार - "स्वास्थ्य शिक्षा वह प्रक्रिया है जो स्वास्थ्य सूचना और स्वास्थ्य व्यवहारों के मध्य खाई को पाटती है।"

उपरोक्त परिभाषा के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा को अनुप्रेरित करती है कि वह सूचना लेकर कुद ऐसा करे जिससे वह अधिक स्वस्थ बनने के लिए हानिप्रद कार्यों की अवहेलना कर सके और ऐसी आदतों का निर्माण कर सके जो उपयोगी हैं।

रूथ ई. ग्राउट का अभिमत स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में कुछ और विस्तार से है, उनके अनुसार, "स्वास्थ्य शिक्षा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से स्वास्थ्य के विषय में जो कुछ ज्ञात है उसे उचित व्यकिगत एवं सामुदायिक व्यवहार के नमूनों में परिवर्तित करने का नाम है।" 

यह परिभाषा स्वास्थ्य के बारे में तीनों बातों पर ध्यान आकर्षित करती है -

(i) स्वास्थ्य के विषय में जो ज्ञात है— अर्थात् स्वास्थ्य के विषय में मूलभूत अवधारणाएँ।
(ii) उचित व्यक्तिगत एवं सामुदायिक व्यवहार के नमूने — यानी स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तिम लक्ष्य तथा
(iii) शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से परिवर्तन।

सरल शब्दों में बच्चे को स्वास्थ्य सम्बन्धी मूलभूत अवधारणाएँ स्पष्ट होनी चाहिए। उसे यह ज्ञात होना चाहिए कि 'क्यों करना है', 'क्या करना है' और 'कैसे करना है'- उदाहरण के तौर पर भोजन करने से पहले हाथ धोना आवश्यक है। क्यों? क्योंकि यह बीमारी के खतरे को कम करता है।

अतः स्वास्थ्य शिक्षा, निःसन्देह एक मानवीय रचना है। यद्यपि यह कई प्रकार से अपरिपक्व है तो भी यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे व्यवस्थित किया जा सकता है।

शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा

शिक्षा से अभिप्राय शिक्षा ग्रहण करना ही नहीं बल्कि व्यक्ति की शारीरिक मानसिक तथा भौतिक शक्तियों का निर्माण करना है। इसका उद्देश्य व्यक्ति की आदतों को बदलना है तथा उसके चरित्र को बनाना है—

आधुनिक युग में शिक्षा के तरीके बदल गए हैं तथा संपूर्ण शिक्षा पद्धति में क्रन्ति आ गई है। वह दिन गए जब शिक्षा देते समय व्यक्ति की इच्छा उसके स्वभाव तथा उसकी शक्ति पर ध्यान नहीं दिया जाता था, परन्तु आधुनिक शिक्षा पद्धति में व्यक्ति की आन्तरिक शक्तियों व क्षमता के विकास पर जोर दिया गया है जो कि शिक्षा द्वारा उसकी आदतों, स्वभाव, विचारों पर प्रभाव डालती है तथा मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, भावात्मक तथा सर्वांगीण विकास करती है। जबकि स्वास्थ्य शिक्षा का तात्पर्य उन सम्पूर्ण साधनों से है जो मानव को स्वास्थ्य के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं।

शिक्षा तथा स्वास्थ्य शिक्षा में घनिष्ट सम्बन्ध है। यद्यपि स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र सीमित है, क्योंकि इसका सम्बन्ध केवल मनुष्य के स्वास्थ्य से है और शिक्षा क्षेत्र विस्तृत है क्योंकि यह व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है तथापि ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक छात्र को जहां अक्षर ज्ञान के साथ सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक है, वहीं उसको अपने को स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों को जानने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा ग्रहण करना भी आवश्यक है। इसके बाद ही शिक्षक छात्रों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनका मानसिक तथा शारीरिक विकास करने में सफल हो सकेगा। अतः स्पष्ट हैं कि शिक्षा व स्वास्थ्य शिक्षा एक दूसरे के बगैर अधूरी हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य

स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य व उद्देश्यों को समझने से पहले हमें अनके आधार को जानना होगा। सामान्यतः हम इन दोनों का अर्थ एक ही लेते हैं जबकि यह दोनों भिन्न हैं।

लक्ष्य - स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य शारीरिक तथा माँसपेशियों का ही विकास नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा सांवेगिक पक्षों का भी विकास करना है। स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य (लक्ष्य) लोगों को सक्रिय रूप से उन कार्यक्रमों और उन सेवाओं में लगाना और भागीदार बनाना है जिनका आयोजन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता हैं अर्थात् लोगों को अपने स्वास्थ्य सुधार के लिए सिखाना और सीखने में सहायता देना स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य शिक्षा पर विशेषज्ञ समिति के अनुसार - "स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य लोगों की अपने कार्यों और प्रयासों द्वारा स्वास्थ्य प्राप्त करने में सहायता करना है। "

इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा जीवन का वह गुण उत्पन्न करने का उद्देश्य सामने रखती है जो कि एक व्यक्ति को अधिक जीने और अच्छे से अच्छे ढंग से सेवा करने योग्य बनाए। अतः स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य का अभिप्राय यह हुआ कि यह मनुष्य को समाज में सुखी, व्यवस्थित, संतोषजनक और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने के ढंगों का ज्ञान कराती है। सी.दी. गुड के अनुसार, "लक्ष्य पूर्व निधारित साध्य होता है, जो किसी क्रिया का मार्गदर्शन करता है।”

उद्देश्य (Objectives)  - उद्देश्य को परिभाषित करते हुए सी.वी. गुड कहते हैं, "स्कूल द्वारा निर्देशित अनुभवों के द्वारा छात्रों के व्यवहार में आया वांछित परिवर्तन ही उद्देश्य है। "

सी. ई. टर्नर के अनुसार - " छात्रों का समुचित विकास स्वास्थ्य शिक्षा पर निर्भर करता है। " अतः उनके लिए शिक्षा के निम्न उद्देश्य होने चाहिए-

1. विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखना।
2. सभी छात्रों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।.
3. व्यक्तिगत सफाई व स्वच्छता के बारे में न केवल ज्ञान प्रदान करना बल्कि अभ्यास भी कराना।
4. बच्चों में ऐसी स्वाभाविक आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
5.स्कूल, घर और समाज में उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए आपसी सहयोग की भावना विकसित करना।
6.संक्रामक रोगों से बचने के उपाय करना।
7.सभी छात्रों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिवृत्ति का विकास करना।

स्वास्थ्य शिक्षा के सामान्य लक्ष्य की पूर्ति के लिए रूथ ई. ग्राऊट ने भी कुछ विशिष्ट उद्देश्य बताए हैं जो सामान्य शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बद्ध हैं। ग्राऊट के अनुसार ये उद्देश्य हैं-

1.व्यक्ति का सर्वाधिक विकास (शारीरिक व भावनात्मक)
2.स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मानवीय सम्बन्धों की बेहतर व्यवस्था।
3.स्वास्थ्य सम्बन्धी तथ्यों एवं सिद्धांतों का आर्थिक दक्षता के संदर्भ में प्रयोग।
4. नागरिक उत्तरदायिकत्व (विशेषकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में )

प्रो. एण्डरसन ने - स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में अपने विचार निम्न से व्यक्त किए -

1. छात्रों को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करना।
2. विभिन्न प्रकार की बीमारियों तथा दोषों का ज्ञान प्राप्त करना और उनकी रोकथाम  करना।
3. अपने वातावरण की स्वच्छता की महत्ता समझना।
4. छात्रों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित करना।
5. प्रत्येक छात्र के स्वास्थ्य की जांच करना तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं को समझना।
6. छात्रों में अच्छे स्वास्थ्य के प्रति रूचि तथा अभिरूचियाँ विकसित करना।
7. सामाजिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता विकसित करना।

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार - स्वास्थ्य शिक्षा के निम्न उद्देश्य दर्शाए गए हैं-

1. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की पहचान करने की क्षमता को विकसित करना।
2. स्वास्थ्य के सम्बन्ध में वैज्ञानिक विचारधारा को स्वीकार करना।
3. दूसरों के समक्ष अच्छे स्वास्थ्य का आदर्श प्रस्तुत करने की योग्यता उत्पन्न करना।
4. स्वास्थ्य के सम्बन्ध में उचित निर्णय लेने की क्षमता पैदा करना।
5. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के निदान में रूचि विकसित करना।

उपरोक्त विशेषज्ञों द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों के साथ स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य भी हैं जो विभिन्न स्तर पर अपना महत्तव रखते हैं-

स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य

1. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना - स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्रों की प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान कराना भी है। इसके अन्तर्गत छात्रों व स्कूल के अन्य कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धांतों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसे- पानी में डूबने पर, जलने पर, जहरीले कीटों व सांप काटने पर, मोच व माँसपेशियों में अकड़न के बारे में प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है ताकि कभी भी ऐसी दुर्घटना होने के समय व्यक्ति के जीवन को बचाया जा सके।

2. स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारी प्रदान करना  - स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य अध्यापकों, कर्मचारी वर्ग तथा छात्रों को शारीरिक गतिविधियों, स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य विज्ञान के नियमों, वैयक्तिक स्वास्थ्य रक्षा के नियमों, रोग से बचाव के उपायों की जानकारी प्रदान करना है। छात्रों की बुरी आदतों, धूम्रपान, मदिरापान आदि व्यसनों से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक है।

3. स्वास्थ्य के मापदंड निश्चित करना  - स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अच्छे स्वास्थ्य के कुछ मापदंड निर्धारित करने चाहिए, जिनकी प्राप्ति के लिए प्रत्येक स्कूल को प्रयत्नशील रहना चाहिए। ऐसे मापदंड छात्रों तथा अध्यापकों का अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने में मार्गदर्शन करेंगे। इसके अनतर्गत स्कूल का वातावरण, कैंटीन, प्रकाश व्यवस्था, जल व्यवस्था, कमरों व फर्नीचर की सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता तथा स्वास्थ्य सेवाएँ आती हैं।

4. उचित अभिवृत्तियों का विकास -अच्छे स्वास्थ्य के लिए जहां एक ओर ज्ञान की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर उपयुक्त अभिवृत्तियों के विकास का भी अपना महत्त्व है। कोई भी छात्र अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक तब तक प्राप्त नहीं कर सकता जब तक उसकी सकारात्मक अभिवृत्ति उस कार्य के प्रति न हो और स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में अच्छी सोच, आदतों तथा सकारात्मक अभिवृत्तियों का विकास करना है, उन्हें अपनी क्षमता से अवगत कराना है।

5. सुरक्षात्मक तथा रोकथाम के उपाय करना - स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य संक्रामक बीमारियों के प्रसार और कारणों के प्रति यथेष्ट सुरक्षा उपाय करना है। इसके अन्तर्गत शौचालयों की सफाई, खाद्य पदार्थों को ढक कर रखना, कमरों व फर्नीचर की सफाई व बीमारी फैलने वाले साधनों के प्रति स्कूली छात्रों को सचेत किया जाना चाहिए।

6. उपचारात्मक उपाय करना - छात्रों के सामान्य स्वास्थ्य की डॉक्टर द्वारा जांच कराने व स्कूल में बच्चों की शारीरिक निरीक्षण से उनकी विकलांगताओं, असमर्थताओं तथा बीमारिकयों का पता चल जाने पर ऐसे बच्चों के लिए सुधारात्मक उपाय सुझाए जाते हैं तथा गहन बीमारी या दोष के बारे में माता-पिता को भी सूचित किया जाता है। कुछ ऐसे शारीरिक अंगों के दोषों को जैसे दृष्टि दोष, दाँतों की बीमारी, तुतलाना, हकलाना, टांसिल, शारीरिक विकृति तथा चपटे पैर आदि का पता लगाना व उन्हें दूर करने के लिए उपयुक्त चिकित्सा की व्यवस्था करना स्कूल का उत्तरदायित्व है।

7. संक्रामक रोगों से बचाव - स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य संक्रामक रोगों से रक्षा करने सम्बन्धी जानकारी प्रदान करना भी माना गया है। इन रोगों की रोकथाम से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि इन रोगों का जन्म किन कारणों से होता है। प्रभाव कितनी देर तक रहता है, इनके लक्षण क्यों हैं? इनसे बचने के उपाय व इनकी रोकथाम कैसे की जा सकती है क्योंकि ये रोग फैलने के बाद भयंकर रूप धारण कर लेते हैं, जिसे महामारी कहते हैं।

8. व्यक्तिगत तथा सामाजिक सवास्थ्य की रक्षा के नियमों जानकारी देना - स्वास्थ्य शिक्षा के महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है, सामाजिक दृष्टि से मानव का रहन-सहन क्योंकि यदि कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से संक्रमित ह तो वह समाज के लिए खतरा पैदा कर सकता है। केवल अपने कल्याण के लिए ही नहीं अपितु समाज के कल्याण की भावना से व्यक्ति को स्वस्थ रखा जा सकता है। अतः यह आवश्यक है कि सभी नागरिक दायित्व के प्रति उत्तरदायी हों और मनष्यों को सामाजिक स्वास्थ्य सम्बन्धी उन अपराधों से अवगत कराएँ, जो वे अपने दैनिक जीवन में प्रायः करते हैं। क्योंकि स्वस्थ व्यक्तियों से ही स्वस्थ समाज की कामना की जाती हैं स्वास्थ्य शिक्षा का चरम लक्ष्य व्यक्ति के जीवन को सुन्दरमय बनाना है। ऐसे जीवन की रचना करना है जो व्यक्ति को अधिकतम जीने और उत्तम सेवा करने योग्य बना दे। इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा सामाजिक जीवन में बड़ा योगदान कर सकती है, क्योंकि शिक्षित व स्वस्थ नागरिक सामान्य भलाई के लिए सवास्थ्य सम्बन्धी बातों का महत्त्व समझते हैं। और उन्हें बढ़ावा देते हैं।

9. शारीरिक तथा भावनात्मक विकास - शारीरिक विकास तथा भावनात्मक विकास स्वास्थ्य की गाड़ी के दो पहिए हैं। शारीरिक स्वास्थ्य एक स्वस्थ मनुष्य को वह शक्ति प्रदान करता है, जिससे वह शारीरिक क्रियाओं को सम्पन्न करने, थकान का प्रतिरोध करने तथा रोग से शरीर के मुक्त कराने हेतु प्रतिरोधात्मक शक्ति उत्पन्न करने योग्य बन जाए। ठीक इसी प्रकार भावात्मक स्वास्थ्य मानव को चुस्त, अच्छा स्वभाव, कुशाग्र बुद्धि, सकारात्मक सोच, सामाजिक कुशल व्यवहार, प्रसन्नतापूर्ण तथा सुखद व्यक्तित्व की क्षमता प्रदान करता है। जिस मनुष्य का मस्तिष्क बुद्धिमत्तापूर्ण निर्देश नहीं देता, वह व्यक्ति कभी भी सद्मार्ग पर अग्रसर नहीं होगा और जिस व्यक्ति का शरीर अस्वस्थ है वह मनुष्य कभी अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है। इसलिए तो कहा गया है कि- "स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग निवास करता है।"

विद्यालयी - शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य

स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों पर विशेषज्ञों द्वारा सामान्य रूप से चर्चा की गई, लेकिन वस्तुतः परिवेश के आधार पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर भी स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों में भिन्नता पाई जाती है। अतः स्कूल के विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्य अलग-अलग हैं।

प्राथमिक स्तर का उद्देश्य - प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य दो प्रकार के हो सकते हैं-

(i) व्यवहारात्मक

(अ) बच्चों को स्वास्थ्य का मूल्य बता कर शरीर तथा वस्त्रों के विषय में व्यक्तिगत स्वच्छता की आदतों का निर्माण करना।
(ब) बच्चों को उठने-बैठने, चलने-फिरने के उचित आसनों का अभ्यास व ज्ञान कराना।

(ii) अधिगम

(अ) बच्चों को स्वास्थ्य शिक्षा के व्यक्तिगत तथा सामाजिक महत्त्व को समझ सकने योग्य बनाना।
(ब) स्वास्थ्य के महत्त्व की जानकारी बच्चों को देना।

माध्यमिक स्तर के उद्देश्य – माध्यमिक स्तर पर छात्रों की समझ विकसित हो जाती है। अतः इस पर निम्न बातों का ज्ञान बच्चों को कराना आवश्यक है-

(i) छात्रों के स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य शिक्षा के आपसी सम्बन्ध की जानकारी प्राप्त करने में सहायता देना।
(ii) बच्चों को शारीरिक व मानसिक विकास के लिए पौष्टिक व सन्तुलित आहार के महत्त्व का ज्ञान कराना।
(iii) छात्रों को शरीर की संरचना व विभिन्न कार्यरत प्रणालियों जैसे श्वास प्रणाली रक्त संचार तंत्र पाचन तंत्र आदि के विषय में ज्ञान करना।
(iv) आज के युग में दुर्घटनाएँ, जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण में चौंका देने वाली गति से वृद्धि हो रही है। अतः इस स्तर पर छात्रों को यह जानकारी देना अति आवश्यक है कि प्रदूषण, गन्दगी, वातावरणीय समस्याओं व दुर्घटनाओं आदि से किस प्रकार सुरक्षा की जाए।

उच्चत्तर माध्यमिक स्तर पर उद्देश्य - शिक्षा के इस स्तर पर बच्चे किशोरावस्था में पदार्पण कर जाते हैं। उन्हें निम्न उद्देश्यों की जानकारी देना आवश्यक होता है-

1. छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा सम्बन्धी वांछित जानकारी देना।
2. छात्रों को मद्यपान, धूम्रपान तथा अन्य नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों से परिचित कराना।
3. छात्रों को यौन, विवाह तथा जनसंख्या वृद्धि आदि के प्रभावों से परिचित कराना।
4.छात्रों को विभिन्न प्रदूषण जैसे ध्वनि, जल तथा वायु आदि की वांछित जानकारी देना।
5.. छात्रों को स्वास्थ्य निर्माण तथा स्वास्थ्य सुधार के क्षेत्र में कार्य करने वाली विभिन्न संस्थाओं की जानकारी देना।
6. छात्रों को शारीरिक व्यायाम, योग व प्राणायाम, खेलकूद के महत्त्व व स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रमों से इनके सम्बन्ध का ज्ञान कराना।
7.बच्चों में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना।
8. छात्रों को व्यक्तिगत व सामाजिक स्वास्थ्य का ज्ञान कराना।

स्वास्थ्य शिक्षा में अध्यापक की भूमिका -
स्वास्थ्य शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है। घर में माता-पिता और स्कूलों में अध्यापकों पर बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होती है। शिक्षक छात्रों के सखा, गुरू, परामर्शदाता तथा पथ-प्रदर्शक होता है। विद्यालयी रूपी इस बाग में शिक्षक एक बागवां के रूप में कार्य करता है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत शिक्षक छात्रों के स्वास्थ्य का विकास निम्न बातों व कार्यों के माध्यम से कर सकता है-

1.छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों की जानकारी देकर उनका सर्वांगीण विकास करना।
2.. छात्रों में स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छी आदतों का विकास करना।
3. विद्यार्थियों को व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्त्व की जानकारी देना व नाखूनों, दाँत, वस्त्र व बालों आदि का दैनिक निरीक्षण करना।
4.छात्रों को शौचालय व मूत्रालय के उचित प्रयोग व सफाई की जानकारी देना।
5. रोगग्रस्त छात्रों को अलग-अलग रखना तथा उनके माता-पिता व स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करना।
6. छात्रों को प्राथमिक चिकित्सा का ज्ञान कराना।
7. छात्रों के आसन सम्बन्धी दोषों का पता लगाना व इन्हें दूर करने का प्रशिक्षण देना।
8. छात्रों को संक्रामक रोगों के फैलने के कारण प्रभाव व लक्षण आदि की जानकारी देना व इनके बचाव के लिए टीकाकरण करवाना।
9. बच्चों को पौष्टिक भोजन के महत्त्व व संतुलित आहार की जानकारी देना व स्कूलों में मिड डे भोजन का प्रबन्ध करना।
10. उन्हें समुदाय स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराना, जैसे—सड़क पर व सार्वजनिक जगहों पर गन्दगी न डालना, पेशाब न करना व जगह-जगह न थूकना।
11. समय समय पर छात्रों के कद व भार का निरीक्षण करना व उचित निर्देश देना।
12. छात्रों को नशीले पदार्थों व द्रव्यों से होने वाली हानियों व कुप्रभावों से अवगत कराना।
13. चिकित्सक, योग विशेषज्ञों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों को समय-समय पर आमन्त्रित कर उनके विचारों, परामर्श तथा वाद-विवाद से छात्रों को लाभान्वित कराना।
14. छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास कर व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्त्व का ज्ञान कराना।
15. स्कूलों में स्वास्थ्य दिवस, स्वास्थ्य सप्ताह तथा स्वास्थ्य परिषद् का आयोजन करना।
16. शिक्षक व्यक्तिगत सफाई, स्वस्थ आदतों व अपने अच्छे व्यवहार से स्वयं को एक आदर्श के रूप में भी बच्चों के सामने प्रस्तुत कर सकता है। इस प्रकार का जीवित उदाहरण बच्चों को अधिक प्रभावित करता है।

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि छात्रों में स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने में शिक्षक की एक अहम् भूमिका होती है। लेकिन यह तभी सम्भव है जब शिक्षक में भी अच्छी आदतें विद्यमान हो और वह बच्चों के आदर्श के रूप में जाने जाएँ। रोजर्स शिक्षक की भूमिका के महत्त्व के बारे में कहते हैं, "स्कूली छात्रों के अध्ययन में अध्यापक के आंख और कान मुख्य साधन हैं। "

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
  2. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
  4. प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
  5. प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  7. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
  11. प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
  18. प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  20. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
  23. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
  24. प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
  25. प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
  26. प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
  27. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
  33. प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
  34. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
  37. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
  38. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
  39. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
  40. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
  41. प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
  44. प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
  45. प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  50. प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
  51. प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  53. प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  57. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
  58. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
  60. प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
  61. प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
  63. प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
  70. प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
  73. प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
  74. प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  76. प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
  79. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
  80. प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
  84. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
  85. प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
  86. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  91. प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
  92. प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
  95. प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
  96. प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
  97. प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
  98. प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
  101. प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
  102. प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
  103. प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
  104. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
  106. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  109. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
  124. प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
  125. प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
  126. प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
  128. प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
  132. प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
  133. प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
  134. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
  135. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
  136. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
  137. प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
  138. प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
  139. प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
  140. प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
  141. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  142. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
  153. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
  154. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
  155. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )

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